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Wednesday, March 6, 2013

दास्ताँ



आरजू थी, मोहब्बत का पैगाम लिखेंगे ;
तन्हाई मे कैसे गुजरी रात वो दास्ताँ लिखेंगे !

साजन 

पन्हा



निद्राहीन आँखें,आँखों की पुतलियों मे नींद जागे !
भटकी हुई रुहु की माफीक प्यार  की पन्हा मागें |

सजन

अल्फाज



तमाम रातें  सजी हुयी छोटी बढ़ी ख़यालों से
दर्द से गर्क़, दहन से सुर्ख, हर अल्फाज सजा के ;

सजन

अफ़सोस



कत्तल भी हो जायें,  रजो-गम नहीं,   दीदार तो होता है ,
अफ़सोस किसी भी दौर का नहीं,यादें दीदार की महफूज है ;

सजन

पर्दा-नशीं



पर्दा-नशीं थे नहीं वह, हुश्न की चर्चा सरे बाजार होती है ;
सरेआम महफील मे उनका जलवा कत्ले-आम मचाता है !

सजन

नफरत



नफरत न होना बुज़दिली की बात नहीं, न है कोई शिकवा वेबफाई से,
मालूम मुझे खोखली दीवाल पर टीका यह बेरुखी का किल्ला वहम से ,

सजन 

मोजुदगी



मोजुदगी नहीं, होने का एहसास ही  खास है ;
दिल की नजर से देखिये, हम आपके पास है

सजन

बे-वजह



बेवजह कोई बैठे-बिठाये लब पे याद आये  ;
याद सताये पर दूर तलक ना हो, दिलवर है |

सजन

पैमाना



हर पैमाने पे ज़िन्दगी बोझ लगे तो मायुसी ही  है ;
ज़िन्दगी अलग से  ख़ुशनुमा लगे तो ज़िन्दगी  है |

सजन

माशुकी



अनकहे जज्ब़ात के हर लफ्जों से प्यार  है ;
जज्ब़ात मे बह कर एतवार मे माशुकी  है |

सजन

दिल की आवाज़



छोड़ चले  गये हो पर दिल से गये  नहीं   ;
गौर से सुने दिल मे हरदम गुनगुनाते वही |

सजन 

शमा



तेरा प्यार शमा बनके मेरी   दुनिया रोशन करता है,
ख़्वाब की मानिंद हर वक़्त मेरे   दिमाग में रहता है.

सजन

बहकना



लोग सही कहते,इस उम्र मे भी;
बहकते हम गजरे की महक से,
                             पूछेंगे उनसे जरा,पता तो चले भी,
                             उम्र का क्या तक़ाज़ा बहकने से ।

सजन

सूरत




पत्थरों को तराश के बनती हसीन मूरत!
दिल को तराश कर सजाई थी तेरी सूरत ।

सजन

एतराज़



मैं तेरे हुश्न के गरूर से नशा किया, एतराज़ न जाने तूने क्यों किया,
तुझ पर एतवार करके, ग़म का, ज़िन्दगी भर दिल पर ज़ख्म लिया,

सजन

नशा



नशा छोडा,तुम छोड़ गई ,सोचते तुम लोटोगी,जो नशा लोटा दिया,
हम पीते नहीं जानम, वक़्त तुम्हारे इन्तज़ार का, यों ही हल्का किया |

सजन

उलहाना



तेरी आँखों से नफ़रत का उलहाना,हर बाज़ी को डुबो दिया
शराब की थी नहीं इतनी औकात,तुम ने ही मदहोश कर दिया,

सजन

तस्वीर



तस्वीर थामनी होगी ;तस्वीर मिटाने से पहले,
वफाई जताना है ज़रूरी,
वेवफाई बताने से पहले,

बिज़ली




बिज़ली सी कोंध जाती, अन्धेरी रात के सन्नाटे मे,
हुस्न का "ज़लवा", ज्वालामुखी सा फ़ुटता मन मे !

सजन

उमीद



उमीदों के बादल उड़ गये, हव़ा ने दिशा बदल दी ,
एक "ना" से उन्होंने  पूरी   कहानी ही बदल दी ;

सजन

बेज़ान पत्थर



प्यार जताने, पत्थर पर उनके साथ नाम जोड़कर लिखा था,
बेज़ान पत्थर पर यों क्यों वक्त जाया क़रते,हमे क्या पता था,

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पैगाम



कई कई शाम उनके नाम हम ने,कई कई पैगाम लिखे थे,
कसमे ,वादे,इज़हार किया था उम्र भर का साथ निभायेगें।

सजन

आँखों के नूर



क्या जाने क्या बात हुई,गुँजन सारे,बेज़ूवान हुवे ;
आँखों के नूर,अब उनकी आखों मे ही खटकने लगे !

सजन

जिन्दगी



लम्बी जिन्दगी की दुआ जब मुझे मिले
सोच मे भीषण  बवंडर आये होले -होले
जिन्दगी अब कांह जीते,यों ही  काट रहे
जिसे काटना है,उसे फ़िर लम्बा क्यों खींचे

सजन

ख्वाइस



प्यार होता कियूं ? बात है समझने की,
तभी तो  प्यार की ख्वाइस है मेरी भी |

सजन

रोना



तुमको कभी रोना आया नहीं - दर्द से
प्यार "प्यार" नहीं जो गुजरा नहीं दिल से

सजन

तन्हा




तूम ग़ैर की हो जाये तो शकुन पाये हम,
तन्हा होने का दर्द, वो जाने दिल हो जिन में,

सजन 

बियोग




बियोग कि आग, बर्फ बनके, चोट पर लगा रही मरहम !
अन्दर पिघल रही बर्फ, अश्क बन, बहती रहती है हरदम |

सजन 

"हमदर्द"



दर्द बहूत था दिल में, लेकिन मिला प्यार से
प्यार नहीं, आपका दर्द- "हमदर्द" है, हम से

सजन

हालात



अजीब हालात है, अब हम मयखाने से भी लोटा दिये जाते हैं,
इल्जाम पीनेवालों का,मेरे गम,उन्हें पुरी बोतल से नशा नहीं देता !!

सजन

बे-दिल



दिल नहीं जिन के पास, वह दिल का हल क्या जाने,
मोहब्बत है, इब्बादत है, मौत से डरते नहीं परवाने,

सजन

मायूसी



अश्क दिखता मेरी मायूसी का उनके चहरे पे,
दिल की बात, कहती सब बेजूवान आँखों से,

सजन

यादें



याद को भी दुश्मनी,धधकती रहे हरदम;
कोई भी आंसू न बुझा पाये खुदा कसम |

सजन

इकरार और प्यार



आँखों से जो टपकते अश्क तो बूंद-बूंद से इकरार  होता  है ;
होंटो पर चमचमाती हंसी, सितारों से रोशन प्यार  होता है |

सजन

आशियाना



हद हो गई, बहुत हुवा आशियाना, सोचा उन्हें अब भुला देंगे,
पर जब सामने से गुजर गये, सोचा  कल होगा दिन आख़री ;

सजन

दास्ताँ



आरजू थी, मोहब्बत का पैगाम लिखेंगे ;
तन्हाई मे कैसे गुजरी रात वो दास्ताँ लिखेंगे !

साजन 

पन्हा



निद्राहीन आँखें ,आँखों की पुतलियों मे नींद जागे !
भटकी हुई रुहु की माफीक प्यार  की पन्हा मागें |

सजन

अल्फाज



तमाम रातें ख़यालों से सजी हुयी छोटी बढ़ी बातें,
दर्द से गर्क़, दहन से सुर्ख, हर अल्फाज सजा के ;

सजन

अफ़सोस



कत्तल भी हो जायें,  रजो-गम नहीं,   दीदार तो होता है ,
अफ़सोस किसी भी दौर का नहीं,यादें दीदार की महफूज है ;

सजन

पाषाण मूर्ती !!

पाषाण मूर्ती !!

क्यों किसी कारीगर के  चिंतन को,
तेरा ही चेहरा मिला पत्थरों के लिये,
कैसे? पर्दा उठाना है इस रहस्य से,
कब तक नाइका की भांति रहस्य मइ,
सिमटी रहोगी तुम लेकर वैभव कांति!
बनानेवाले के आंखों का पानी,
अंत:सलिला की तरह,अन्दर ही,
मन को गीला करता,तेरे लाब्यन को,
रंजित करता,शुष्क नयनो से ।
मुख की मूकता, ह्रदय की धड़कन को,
अनसुना सा, धमनियों से लहू निचोड़कर,
रूपित करता,शीलाओं को काटकर,
क्या बंजर हो गया था शिल्पी का मन;
खतरा उठा रहे थे पत्थर को तरासने की,
या रोपण कर रहे थे भविष्य चित्रण का!
तुमने कुछ कहा नहीं, कुछ कहती नहीं?
तुम्हारे कान सुन भी सकते, तो सुनो भी;
बस खड़ी रहती हो, कुछ बोलो,बताओ भी;
मैं अकेला नहीं तैयार,दुनिया चाहती सुनना!
कब तक रहोगी पाषाण,सजीब मुरत बनकर,
निश्चुप,स्तब्द,पाषाण मूर्ती ?


सजन कुमार मुरारका

हकीकत



हुश्न का सहेरा समझा; बादल समझ इतराये  ;
हकीकत मे यह मेरे "जलते" दिल का धुंवा था , !

सजन

लब



लबों पर था नाम तुम्हारा, मेरे लबों पर नाम है तुम्हारा ;
हिफ़ाजत से दिल मे था,हिफ़ाजत से रखने का दिल मेरा !

सजन

महबूब



महबूब को पाकर, ख़ुशी मे ज़िन्दा थे बेमिसाल,
उनको खोकर भी ज़िन्दा हैं लाश सारीका  हाल|

सजन

आदत



हर-रोज़ मिलने की आदत से,
न मिलने का यह वीरान सा सफ़र,
ख्वाहिश है,अगर ना मिली तो,
खत्म कर दूँ ज़िन्दगी का सफ़र !

सजन

फरियाद



हम ना रहे, पर हमे याद मे रहने की चाहत है !
फरियाद करेंगे वह किस से, जब दिल टूटता है ,

सजन

औकात



किसी के दर्द को बांटना हो तो,दिल मे उतर कर देखो,
भर के बांहों मे,उसकी आँखों मे खुद की औकात देखो|

सजन

"दर्द"का रिश्ता



तुम्हारी आँखें समझती थीं "दर्द",
मेरा भी एक रिश्ता ऐसा !
तुम्हारी नफ़रत का दर्द,"
दर्द" से मेरा रिश्ता भी एक ऐसा !

सजन

मोहब्बत का पैमाना



मोहब्बत को रब जाना , प्रेम-प्यार को इबादत माना ;
मुस्कराहट पर मर मिटते,हर लहज़ा था मीठा-सुहाना !

सजन

ज़लवा



हुश्न के ज़लवे पर इतना न तुम  इतराव !
चमक दो दिन की,वक़्त रहते संभल जाव|

सजन

प्यार का मंज़र!



अफ़साना यह रहता है,हर तरफ़ प्यार का मंज़र दिखा ;
फूलों से लदी हर शाख मे, मोहब्बत का वास्ता  दिखा !

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जीने का बहाना



प्यार अगर मिलता तो,जीयें मशगुल होकर.
दर्द मिला,  तभी जीते प्यार को याद कर |

सजन