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Saturday, September 8, 2012

बचपन की बात


 बचपन की बात

बचपन की.. वह अमीरी

.. न जाने.. कहाँ खो गयी?

वरना कभी.. वारिश के पानी में

.. हमारे.. भी जहाज़.. चला करते थे !

बचपन की...वह बाहदुरी

 .. न जाने.. कहाँ खो गयी?

वरना कभी.. छत की मुंडेर पर

 .. हमारे.. भी पांव.. चला करते थे !

बचपन की...वह दिलेरी

.. न जाने.. कहाँ खो गयी?

वरना कभी..  टिफीन बॉक्स में

 .. हमारे.. भी निवाले.. आपस में बटते थे !

बचपन की...वह बात सारी

.. न जाने.. कहाँ खो गयी?

वरना कभी.. साथी के दुःख में

.. हमारे.. भी आंसू.. अपने आप निकलते थे !

 सजन कुमार मुरारका

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