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Saturday, September 8, 2012

प्यार में कंहा हैं फर्क

प्यार में कंहा हैं फर्क

तब तुम्हारे साथ का नशा था
अब तुम्हारे दीदार का नशा है
तब तुम्हारे प्यार में मशगुल था
अब तुम्हारे प्यार के लिये मशगुल हैं
                 तब हमने तुम्हे चाँद सा देखा था
                 अब चाँद में सिर्फ तुम्हे देखते हैं
                 तब तुम्हारी अदायों पर मरता था
                 अब तुम्हारी अनदेखी पर मरते हैं
तब प्यार का इजहार करने जीता था
अब प्यार के इजहार के लिये जीते हैं
तब वक़्त का गुजरना ना गंवार था
अब वक़्त का ना गुजरना ना गंवार हैं
                 तब मुलाकात को तरसता था
                 अब भी मुलाकात को तरसते हैं
                 तब तुम्हारे चाहत में दीवाना था
                 अब तुम्हारे चाहत में दीवाना हैं
तब रात की तन्हाई में याद करता था
अब रात की तन्हाई में याद करते हैं
तब तेरी यादें  मेरे जीने का सहारा था
अब तेरी यादें  मेरे जीने का सहारा हैं
                  तब और अब प्यार तो प्यार ही था
                  अब और तब प्यार तो प्यार ही हैं
                  तब तुम मेरी थी, मैं तुम्हारा था
                  अब तुम तुम्हारी, पर मेरा तुम्हारा हैं

:-सजन कुमार मुरारका

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