Powered By Blogger

Saturday, September 8, 2012

विनाश की आहट


 विनाश की आहट

सुन्दर नैसर्गिक झलकियाँ

हवा,फिजा और बादियाँ

पर्वत,झरने, और नदियाँ

 पेड़, पौधे, और बगियाँ

जंगल, मैदान,और भुमियां

सागर, बन्दर,और डगरियाँ

गांव, नगर, और बस्तियां

सृष्टी, प्रकृति,और बदरियाँ

बदलते-मौसम,सर्दी, और गर्मियाँ

यह खतरे, प्रदुसन,और मजबूरियां

इन्सान समझ जाये तो शुक्रियां

ना समझे तो आ रहीं विनिष्टियाँ

सजन कुमार मुरारका

No comments:

Post a Comment