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Friday, March 16, 2012

रिश्ते अब निभते नहीं

रिश्ते अब निभते नहीं

रिश्ते अब निभते नहीं हमारे बीच
अबिस्वाश की आंखें
और कुढ़न वाली बांते
रिश्तों को जोढते जोढ़ते
 चाहत ही टूट जाती हैं हमारे बीच !

अपने सगों का प्यार, बार-बार
हो जाता है तार-तार
अमीरी और गरीबी की दीवार
खढ़ी हो जाती है हमारे बीच !!

रिश्ते जिन्हें पुस्तोंने बड़ी शिद्दत से
खड़े किये थे बरगद विशाल से
पर,फिरभी छोटे हो जाते स्वार्थ से
और बिखर जाते हैं, हमारे बीच !!!

आंखों में,शायद, खटक जाती
एक दुसरे की खुशी
बाते सम्बन्ध की निरर्थक हो जाती
 निश्चित बनाती दूरी हमारे बीच
कियों की रिश्ते अब निभते नहीं हमारे बीच

:-सजनकुमार मुरारका

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